कर्नल जेम्स टॉड
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आपका जनम 20 मार्च 1782 ई को ईंग्लैंड में इसिलंगठन शहर में हुआ था | उसकी शिक्षा स्कॉटलैंड में पूरी हुई| आपके पिता का नाम जेम्स टॉड व माता मेरी हैटली व पत्नी जूलिया कलेटबर्क था | आपने 1799 ई में 17 वर्ष की आयु में ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक अधिकारी के रूप में बंगाल में नौकरी प्रारंभ की तथा 1802 ई में आप ग्वालियर के रेजिडेंट नियुक्त हुए तथा 1806 में मेवाड़ व हाड़ौती के पॉलिटिकल एजेंट के रूप में उदयपुर आये | कर्नल टॉड का अनुरोध पर कंपनी सरकार ने मराठो व पिंडारियो को कुचलने के किये हाड़ोती क्षेत्र में रावंता क्षेत्र में स्वतंत्र प्रभार देकर नियुक्त किया | आमिर खां पिंडारी का बीटा जब 1500 पिंडारियो के साथ रावंटा क्षेत्र में काली सिंध नदी के किनारे युद्ध के लिए आया तो टॉड ने कोटा के जालिम सिंह के साथ मिलसर पिंडारियो को हराया | आपने जून 1822 ई में ख़राब स्वास्थ्ये के कारन उसने कंपनी की सेवा का त्याग पत्र दे दिया और इंग्लैंड चले गए | आपने 1829 में जो पुस्तक लिखी थी उसका दूसरा भाग 1832 में प्रकाशित हुआ |
18 नवंबर 1835 में इनके निधन के पश्चात 1839 में "ट्रैवल्स इन वेस्टर्न इंडिया " पशिचमी भारत की यात्रा ग्रंथ प्रकाशित हुआ | इस पुस्तक को टॉड ने श्रीमती कर्नल हंटर को यह कहते हुए समर्पित किया कि वे "आबू के रमणीय स्थलों के रेखाचित्र बनाकर इंग्लैंड ले गयी | "
मांडल भीलवाड़ा के यती ज्ञानचंद टॉड के भारतीय गुरु थे | आप साम्भर साल्ट के पहले कमिसनर नियुक्त किये गए | आपने भारत निवास के 24 वर्षो में १८ वर्ष राजपूताने में बिताये | कर्नल टॉड के पूर्वज ने स्कॉटलैंड के राजा रॉबर्ट दी ब्रूस के बच्चो को इंग्लैंड के राजा की कैद से छुड़ाया था इस कारन टॉड परिवार को नाईट बेरोनेट की उपाधि तथा लोमड़ी का चिह्न धारण करने का अधिकार मेला हुआ था| कर्नल टॉड न कोटा के समीप चन्द्रभागि नदी पर एक पुल बनवाया थे जिसका नाम हेसिटंग्स ब्रिज रखा |
टॉड ये राजपूतो की उत्पति शक व सीथियन से मानते हैं |
नोट :- समुद्र मंथन का उल्लेख करने वाले मानमोरी लेख को कर्नल टॉड ने इंग्लैंड जाते हुए समुद्र में गिरा दिया |
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