Thursday, 28 November 2019

कर्नल जेम्स टॉड

                                          कर्नल जेम्स टॉड
                                                    
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आपका जनम 20 मार्च 1782 ई को ईंग्लैंड में इसिलंगठन शहर में हुआ था  | उसकी शिक्षा स्कॉटलैंड में पूरी हुई| आपके पिता का नाम  जेम्स टॉड व माता मेरी हैटली व पत्नी जूलिया कलेटबर्क था | आपने 1799 ई में 17 वर्ष की आयु में ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक अधिकारी के रूप में बंगाल में नौकरी प्रारंभ की तथा 1802 ई में आप ग्वालियर के रेजिडेंट नियुक्त हुए तथा 1806 में मेवाड़ व हाड़ौती के पॉलिटिकल एजेंट के रूप में उदयपुर आये | कर्नल टॉड का अनुरोध पर कंपनी सरकार ने मराठो व पिंडारियो को कुचलने के किये हाड़ोती क्षेत्र में रावंता क्षेत्र में स्वतंत्र प्रभार देकर नियुक्त किया | आमिर खां पिंडारी का बीटा जब 1500 पिंडारियो के साथ रावंटा क्षेत्र में काली सिंध नदी के किनारे युद्ध के लिए आया तो टॉड ने कोटा के जालिम सिंह के साथ  मिलसर पिंडारियो को हराया | आपने जून 1822 ई में ख़राब स्वास्थ्ये के कारन उसने कंपनी की सेवा का त्याग पत्र दे दिया और इंग्लैंड चले गए | आपने 1829 में जो पुस्तक लिखी थी उसका दूसरा भाग 1832 में प्रकाशित हुआ | 
18 नवंबर 1835 में इनके निधन के पश्चात 1839 में "ट्रैवल्स इन वेस्टर्न इंडिया " पशिचमी भारत की यात्रा  ग्रंथ प्रकाशित हुआ | इस पुस्तक को टॉड  ने श्रीमती कर्नल हंटर को यह कहते हुए समर्पित किया कि वे "आबू के रमणीय स्थलों के रेखाचित्र बनाकर इंग्लैंड ले गयी | "
मांडल भीलवाड़ा के यती ज्ञानचंद टॉड के भारतीय गुरु थे |  आप साम्भर साल्ट के पहले कमिसनर नियुक्त किये गए | आपने भारत निवास के 24 वर्षो में १८ वर्ष राजपूताने में बिताये | कर्नल टॉड के पूर्वज ने स्कॉटलैंड के राजा रॉबर्ट दी ब्रूस के बच्चो को इंग्लैंड के राजा की कैद से छुड़ाया था इस कारन टॉड परिवार को नाईट बेरोनेट की उपाधि तथा लोमड़ी का चिह्न धारण करने का अधिकार मेला हुआ था| कर्नल टॉड न कोटा के समीप चन्द्रभागि नदी पर एक पुल बनवाया थे जिसका नाम हेसिटंग्स ब्रिज रखा | 
टॉड ये राजपूतो की उत्पति शक व सीथियन से मानते हैं | 

नोट :- समुद्र मंथन का उल्लेख करने वाले मानमोरी लेख को कर्नल टॉड ने इंग्लैंड जाते हुए समुद्र में गिरा दिया | 


राजस्थान

                                           राजस्थान दर्शन 
1800 ई. में जार्ज थॉमस ने राजपुताना शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया | यह शब्द "मिलिट्री मेमायर्स ऑफ़ मिस्टर जार्ज थॉमस " पुस्तक में सर्वप्रथम लिखा गया | इस पुस्तक के लेखक विलियम फरंकलिन के अनुसार जार्ज थॉमस ने राजस्थान आने के बाद 1798 ई. में शेखावाटी पर अधिकार किया | इसके दो   वर्ष  बाद आपने यह काम में लिया | एक पुस्तक में लिखा हे की फारसी में "रजपूताँ " राजपुत शब्द का बहुवचन फे जिससे राजपूतों के  विभिन्न रियासतों को राजपूता लिखे जाने के कारण इसे राजपुताना कहा गया| दूसरे अर्थो में इस प्रदेश में अधिकांश शासक राजपूत होने के कारण इसे एक इकाई मानकर "राजपुताना " नाम दिया गया | 1829  ई में राजस्थान शब्द कर्नल जेम्स टॉड ने सर्वप्रथम "Annals & Antiquities of Rajasthan" me likha gaya hai.

Wednesday, 27 November 2019

राजस्थान सामान्य ज्ञान

                                    राजस्थान सामान्य ज्ञान 

                                                                          पार्ट १ 
                                                             
                                                                  राजस्थान  फैक्ट 

कर्नल टॉड के शब्दों में "राजस्थान का को छोटा सा राज्य भी ऐसा नहीं है जिसमें थर्मोपॉली जैसी रणभूमि नहीं हो और शायद ही कोई ऐसा नगर मिले, जहाँ  लियोनिडोस जैसा वीर पुरुष पैदा नहीं हुआ हो | "
(एनाल्स एंड एंटिकिव्टीज ऑफ़ राजस्थान - 1829 )

                                              दोस्तों हम पहले कुछ फैक्ट के  बाद टॉपिक वाइस आगे बढ़ेंगे | 
"यदि विश्व व कोई ऐसा स्थान है - जहाँ वीरों की हड्डिया मार्ग लग। धूल बनी है , तो वह राजस्थान कहा जा सकता है"  (रुडयार्ड किपलिंग )

"जब जब भी में राजस्थान लग वीर प्रसूता धरती यह कदम रखता हूँ , मेरा ह्रदय काँप  उठता हे की कही मेरे पैर के निचे किसी वीर की  समाधि ने हो, किसी वीरांगना का थान न हो"
(राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर )

मारवाड़ - मारवाड़ का अर्थ हे रेगिस्तान सा रक्षित देश, वाड़ का अर्थ है रक्षक | 10 मई 1933 को मारवाड़ राज्य का नाम जोधुपुर रखा गया | 

मेवाड़ - राजस्थान लग प्राचीनतम रियासत मेवाड़ (565 ई.) के संस्थापक गुहिल थे | इसमें उदयपुर,पूर्वी राजसमंद, भीलवाड़ा व् चित्तोड़गढ़ जिलों सका पहाड़ी क्षेत्र शामिल था | मेवाड़ का प्राचीनतम नाम कीव था | जिसे वाद में मेदपाट या प्राग्वाट कहा जाने लगा | यहाँ का शासक निरंतर मलच्छो से संघर्ष करते रहे , अतः इस क्षेत्र का मेदपाट कहा  गया | 

राजस्थान का प्रमुख इतिहासकार 
१. मुहणोत नेणसी 
२. कर्नल जेम्स टॉड 
३. कविराजा श्यामलदास 
४. डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा 

                                                                          अभिलेख 
  1. दस्तूर कौमवार जयपुर रियासत का अभिलेखों की एक महत्वपूर्ण श्रंखला है | जिसका समय विक्रम संवत 1700 से 2000 के बिच में हे | इसके अतिरिक्त जोधपुर के दस्तूरी अभिलेख, बीकानेर की बाहियात और कोटा की नथिया महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रमाण हे | 
  2. बीकानेर रियासत के मत्वपूर्ण अभिलेख "जनरल रिकार्ड्स भवन " में रखे जाते थे | अभी इसका नाम "राजस्थान राज्य "अभिलेखागार बीकानेर" हे | 
  3. राजस्थान में 1857 की क्रांति का   बारे में सम्पूर्ण विवरण कोटा सचिवालय में "हालत विद्रोह 1857" नाम सा सुरक्षित रखे हुए हैं | 
  4. उदयपुर के उतर स्तिथ 'चिरवा गांव' के 1273 ई के अभिलेख में सर्वप्रथम "सतीप्रथा व पाशुपत शैव धर्म" के बारे में जानकारी मिलती है | 
  5. मौलाना अब्दुल कलाम  आजाद अरबी फारसी शोध संसथान टोंक में स्थित है |  
  6. ख्वाजा मुईन दिन चिस्ती उर्दू अरबी फारसी विशवविधालय लखनऊ में स्थित है | 

त्रिदलीये संघर्ष / त्रिपक्षीय संघर्ष

  त्रिदलीये संघर्ष  वत्सराज के समय कन्नौज उतरी भारत का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा था अतः कनौज पर पाल वंश , दक्षिण के राष्ट्रकूट वंश व गुर्जर ...