17 जुलाई 1734
मराठों ने जयपुर (आमेर ) के सवाई जयसिंहपर 1733 ई में आक्रमण जयसिंह को पराजित किया | जयसिंह आमेर से मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह के पास जाकर मराठों के विरुद्ध मुकाबला के लिए राजपूतों को इकट्ठा करने की योजना हेतु सम्मलेन बुलाने की योजना बनाई | सम्मलेन बुलाने स्थान "हुरड़ा "(भीलवाड़ा ) तय किया गया जो जो पहले मेवाड़ रियासत में था , जबकि वर्तमान में भीलवाड़ा जिले में स्थित हैं |
सम्मलेन का दिन 17 जुलाई 1734 ई तथा अध्यक्ष संग्राम सिंह को बनाया गया | जनवरी 1734 में संग्राम सिंह की मृत्यु हो जाने के कारन हुरड़ा सम्मलेन की अधयक्षता मेवाड़ के जगतसिंह द्वितीय ने की |
हरदा सम्मेलन का आयोजनकर्ता जयपुर का जयसिंह था | हुरड़ा सम्मेलन में जयपुर के जयसिंह , बीकानेर के जोरावरसिंह , मेवाड़ महाराणा जगतसिंह द्वितीय , किसनगढ़ के राजसिंह ,बूंदी दलेल सिंह , करोली गोपालसिंह तथा कोटा के दुर्जनसाल सम्मिलित हुए | राजपूतों आपसी मनमुटाव तथा लालच के कारन यह सम्मेलन असफल |
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