त्रिदलीये संघर्ष
इसका प्रारम्भ वत्सराज ने किया | वत्सराज प्रतिहार जालौर का शासक बना | उस समय अरबी आक्रमणकारी जालौर पर आकर्मण करके जालौर को लूट ते जाते थे , इसी कारन वत्सराज प्रतिहार स्वयं के लिए सुरक्षित स्थान की तलाश में था | 647 ई लगभग कनौज के शासक हरसवर्धन की मृत्यु के बाद कनौज का शासन लड़खड़ा गया | वत्सराज ने इसका फायदा उठाते हुए कनौज पर आक्रमण कर वहाँ के शासक इंद्रायुध को परजीत कर कनौज को अपने अधिकार में कर लिया |
यह बात पाल वंश के शासक धर्मपाल को पसंद नहीं आई और उसने वत्सराज को पराजीत करने के लिए वत्सराज पर आकर्मण कर दिया | इस मुंगेर युद्ध में वत्सराज प्रतिहार विजेता हुए | वत्सराज की बढ़ती हुई शक्ति को देखकर दक्षिण राष्ट्रकूट वंश के शासक ध्रुव प्रथम ने जालौर पर आकर्मण किया | इस युद्ध में वत्सराज की पराजय तथा ध्रुव प्रथम की विजय हुई | राधनपुर और वनी डिंडोरी शिलालेखों के पता चलता है कि इस युद्ध में पराजित होकर वत्सराज ने मरुस्थल में शरण ली |
वत्सराज के समय में उद्योतन सूरी द्वारा "कुवलयमाला ग्रन्थ "की तथा जिनसेन सूरी द्वारा "हरिवंश पुराण " रचना की गयी |